Radhakishan Damani Biography | राधाकिशन दमानी: सादगी से सफलता की बुलंदियों तक का सफर

अगर भारतीय शेयर बाजार में सादगी और सफलता का कोई चेहरा है, तो वह राधाकिशन दमानी का है। वह न तो चमक-दमक वाले बिजनेसमैन हैं और न ही मीडिया में दिखने का शौक रखते हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ उन्हें भारत के सबसे सफल निवेशकों और उद्यमियों में शामिल करती हैं। यह कहानी एक ऐसे इंसान की है, जिसने कभी हार नहीं मानी, हमेशा सिखने की भूख रखी और अपनी दूरदृष्टि से असंभव को संभव कर दिखाया। अगर आप राधाकिशन दमानी का जीवन परिचय और उनकी सफलता के पीछे के रहस्य जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है।

Radhakishan Damani Biography | राधाकिशन दमानी: सादगी से सफलता की बुलंदियों तक का सफर

शुरुआती जीवन: एक साधारण परिवार से सफर की शुरुआत

राधाकिशन दमानी का जन्म 12 जुलाई 1955 में राजस्थान के बीकानेर जिले में एक मध्यमवर्गीय मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता भी शेयर बाजार में काम करते थे, लेकिन दमानी जी को इस दुनिया में कोई खास रुचि नहीं थी। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स की पढ़ाई शुरू की, लेकिन जल्द ही कॉलेज छोड़ दिया। और एक ऐसा समय था जब राधाकिशन दमानी एक छोटे से किराने की दुकान चलाते थे, लेकिन उनकी किस्मत में कुछ बड़ा लिखा था। दमानी जी जब 20 वर्ष के थे तभी  इनके पिता की मृत्यु हो गयी।  पिता के निधन के बाद, मजबूरी में उन्होंने शेयर बाजार की दुनिया में कदम रखा। जो शुरुआत एक मजबूरी से हुई थी, वही बाद में उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई। शेयर बाजार में उनकी शुरुआत एक ट्रेडर (व्यापारी) के रूप में हुई, लेकिन उन्होंने जल्द ही यह समझ लिया कि शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग से ज्यादा फोकस लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग पर होना चाहिए। उनकी यह सोच बाद में उनके जीवन की सबसे बड़ी ताकत बनी।


शेयर बाजार में एंट्री: ट्रेडर से इन्वेस्टर बनने का सफर

दमानी जी ने शुरुआत में शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग की, लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि असली पैसा लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग में है। उन्होंने मूल्य निवेश (Value Investing) को अपनाया, यानी कम कीमत पर अच्छे फंडामेंटल वाले स्टॉक्स खरीदना और लंबे समय तक होल्ड करना। उनके इस नजरिए ने उन्हें शेयर बाजार में लीजेंड बना दिया।


हरशद मेहता स्कैम और दमानी की जीत: जब धैर्य ने चालाकी को मात दी

1990 के दशक में, जब हरशद मेहता शेयर बाजार में हेरफेर कर रहे थे, तब दमानी जी ने इस खेल को पहले ही भांप लिया। उन्होंने मेहता के कृत्रिम रूप से बढ़ाए गए स्टॉक्स को शॉर्ट सेल करके भारी मुनाफा कमाया। इसी दौरान उन्होंने खुद को सिर्फ एक ट्रेडर से दीर्घकालिक निवेशक (Long-term Investor) के रूप में बदला। उन्होंने टाइटन, वीएसटी इंडस्ट्रीज, इंडिया सीमेंट्स और सुंदरम फाइनेंस जैसी मजबूत कंपनियों में निवेश किया, जिसने उन्हें अरबपति बना दिया।


हरशद मेहता स्कैम 

1992 का साल – भारतीय शेयर बाजार में एक ऐसा समय, जब एक तरफ हरशद मेहता जैसा शेयर बाजार का बड़ा खिलाड़ी 'बिग बुल' कहलाने लगा, तो दूसरी तरफ एक शांत, सधे हुए निवेशक राधाकिशन दमानी अपने धैर्य और समझदारी से सही मौके का इंतजार कर रहे थे।

हरशद मेहता अपने शॉर्टकट्स और बैंकिंग घोटाले के जरिए शेयर बाजार में हेरा-फेरी कर रहा था। उसने बैंकों से फर्जी तरीके से पैसा उधार लिया और उसे स्टॉक्स में लगाकर बाजार को कृत्रिम रूप से ऊपर चढ़ाया। दूसरी ओर, दमानी जी बाजार की इस असली तस्वीर को समझ रहे थे और चुपचाप अपने खेल की बिसात बिछा रहे थे।


शेयर बाजार में दो अलग रास्ते

  1. हरशद मेहता का रास्ता: बुल रन और धोखाधड़ी - हरशद मेहता ने 1991-92 में स्टॉक्स को आर्टिफिशियली ऊपर चढ़ाया, खासकर ACC, Sterlite, और Reliance जैसी कंपनियों के शेयरों को। वह दावा करता था कि भारत का बाजार एक नई ऊंचाई छूने जा रहा है। उसकी हर चाल को देखकर लोग उसे "शेयर बाजार का जादूगर" कहने लगे। लेकिन यह जादू असल में धोखे का खेल था।
  2. राधाकिशन दमानी का रास्ता: धैर्य और सही निर्णय - दमानी जी ने बाजार की इस चालाकी को बहुत जल्दी समझ लिया। उन्होंने देखा कि हरशद मेहता स्टॉक्स को जरूरत से ज्यादा बढ़ा रहा है, लेकिन यह रैली वास्तविक नहीं है। दमानी जी ने बुल मार्केट में भी शॉर्ट-सेलिंग (Short Selling) का सहारा लिया। वे जानते थे कि जब भी इस बुलबुले का अंत होगा, तब शेयरों की कीमतें गिरेंगी और बाजार में अफरा-तफरी मच जाएगी। 

1992: जब स्कैम का भंडाफोड़ हुआ

हरशद मेहता की धोखाधड़ी 1992 में पत्रकार सुचेता दलाल के एक लेख से उजागर हुई। जब यह खबर बाहर आई, तो शेयर बाजार में तूफान आ गया। जो कंपनियां कृत्रिम रूप से ऊपर चढ़ रही थीं, वे तेजी से गिरने लगीं। बाजार में पैनिक सेलिंग शुरू हो गई और निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

हरशद मेहता का पूरा साम्राज्य देखते ही देखते ढह गया। लेकिन इस गिरावट में भी एक आदमी मुनाफा कमा रहा था – राधाकिशन दमानी


दमानी की जीत: एक मास्टरस्ट्रोक

जब बाजार तेजी से ऊपर जा रहा था, दमानी जी ने शांत दिमाग से शॉर्ट पोजीशन ली थी। जैसे ही हरशद मेहता का स्कैम उजागर हुआ और बाजार गिरने लगा, दमानी जी ने अपनी शॉर्ट-सेलिंग से करोड़ों का मुनाफा कमा लिया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि बाजार में चालाकी से ज्यादा मायने रखती है समझदारी और धैर्य।


क्या सिखाता है यह किस्सा?

  • शेयर बाजार में धैर्य सबसे बड़ी ताकत है।
  • अगर कोई चीज बहुत अच्छी लग रही है, तो उसकी गहराई में जरूर जाएं।
  • जल्दी अमीर बनने की कोशिश अक्सर नुकसान पहुंचाती है।
  • बाजार के बुलबुले हमेशा फूटते हैं – सही समय पर सही रणनीति बनाना जरूरी है।
  • हरशद मेहता चालाकी से बाजार जीते, लेकिन दमानी जी धैर्य से।


इसी कारण आज राधाकिशन दमानी भारत के सबसे सफल निवेशकों में गिने जाते हैं, जिन्होंने ये साबित किया कि शेयर बाजार में असली जीत उन्हीं की होती है, जो धैर्य और समझदारी से सही वक्त का इंतजार करते हैं! जबकि हरशद मेहता का नाम एक घोटालेबाज के रूप में याद किया जाता है।


झुनझुनवाला के गुरु

दमानी जी केवल खुद सफल नहीं हुए, बल्कि उन्होंने कई दिग्गज निवेशकों को भी प्रेरित किया। राकेश झुनझुनवाला, जिन्हें ‘बिग बुल’ कहा जाता था, ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने शेयर बाजार की बारीकियाँ दमानी जी से सीखी थीं।

राकेश झुनझुनवाला का नाम जब भी लिया जाता है, तो उनके पीछे एक और महान व्यक्तित्व की छाया नजर आती है—राधाकिशन दमानी। यह सिर्फ एक निवेशक की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि एक गुरु-शिष्य के अटूट रिश्ते की गाथा भी है। जब झुनझुनवाला ने 1985 में शेयर बाजार में कदम रखा, तो उनके पास सिर्फ सपने थे, लेकिन सही दिशा दिखाने वाला कोई नहीं था। ऐसे समय में दमानी जी उनके मार्गदर्शक बने। उन्होंने सिखाया कि बाजार में असली जीत धैर्य और समझदारी से मिलती है, न कि उतावलेपन और लालच से। दमानी जी से सीखकर झुनझुनवाला ने बाजार की चालों को पढ़ना शुरू किया। जब 1992 में हरशद मेहता स्कैम हुआ और पूरा बाजार हिल गया, तब दमानी जी ने शॉर्ट-सेलिंग से जबरदस्त मुनाफा कमाया। यह झुनझुनवाला के लिए सबसे बड़ी सीख थी—बाजार में हमेशा नजर खुली रखो और सही मौके की पहचान करो। उन्होंने दमानी जी की रणनीतियों को अपनाया और टाइटन, क्रिसिल और लुपिन जैसी कंपनियों में निवेश कर लंबी अवधि में अपार धन कमाया। झुनझुनवाला ने हमेशा अपने गुरु को सम्मान दिया और कहा, "अगर दमानी जी न होते, तो मैं भी न होता।" उन्होंने जो कुछ भी सीखा, वही आज हजारों नए निवेशकों की प्रेरणा बन चुका है। हालांकि आज झुनझुनवाला हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सफलता की कहानी और दमानी जी की सिखाई गई रणनीतियाँ हमेशा अमर रहेंगी। यह जोड़ी हमें यह सिखाती है कि अगर सही गुरु का मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी शिष्य इतिहास रच सकता है।


DMart की शुरुआत: रिटेल बिजनेस में नई क्रांति

जब भी भारत में रिटेल बिजनेस की सफलता की बात होती है, तो एक नाम सबसे पहले जेहन में आता है—DMart। यह सिर्फ एक सुपरमार्केट चेन नहीं, बल्कि एक ऐसा बिजनेस मॉडल है जिसने भारतीय ग्राहकों को किफायती दामों में बेहतरीन सामान देने का वादा निभाया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी नींव कैसे रखी गई? इसके पीछे कौन-सा विजन काम कर रहा था?

DMart की शुरुआत किसी बड़े उद्योगपति या कॉर्पोरेट कंपनी ने नहीं की, बल्कि एक शांत, लेकिन बेहद दूरदर्शी निवेशक ने की, जिनका नाम है राधाकिशन दमानी। वही दमानी, जो शेयर बाजार में अपनी निवेश रणनीतियों के लिए जाने जाते थे, उन्होंने खुद को रिटेल बिजनेस की दुनिया में भी साबित किया और एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी, जिसने पूरे सेक्टर को हिला कर रख दिया।


कैसे आया DMart का आइडिया?

1990 के दशक में, जब दमानी जी शेयर बाजार में अपनी अलग पहचान बना रहे थे, तब उन्होंने गौर किया कि रिटेल बिजनेस एक ऐसा क्षेत्र है जो तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन बाजार में ज्यादातर रिटेल स्टोर्स ग्राहकों को या तो महंगे दाम पर सामान बेच रहे थे, या फिर उनकी सर्विस अच्छी नहीं थी। दमानी जी ने समझ लिया कि अगर कोई सुपरमार्केट ऐसा हो, जो सस्ता, भरोसेमंद और हर जरूरत की चीज एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराए, तो यह एक बड़ा बिजनेस मॉडल बन सकता है।


2002: पहला DMart स्टोर और एक नया सफर

दमानी जी ने 2002 में पवई, मुंबई में पहला DMart स्टोर खोला। इस स्टोर की खासियत थी कि यहां पर हर चीज का दाम बाजार से कम था। ग्राहक जल्दी ही इस मॉडल को समझने लगे और DMart उनकी पहली पसंद बन गया। दमानी जी ने कभी भी बाजार के महंगे ट्रेंड को फॉलो नहीं किया, बल्कि उन्होंने "कम मार्जिन, ज्यादा वॉल्यूम" के सिद्धांत पर काम किया—यानी थोड़ा-थोड़ा मुनाफा, लेकिन बहुत ज्यादा बिक्री।


DMart की सफलता का राज

DMart की सफलता के पीछे सिर्फ सस्ती कीमतें ही नहीं, बल्कि दमानी जी की गहरी सोच भी काम कर रही थी। उन्होंने कभी स्टोर्स को किराए पर नहीं लिया, बल्कि खुद जमीन खरीदकर अपने आउटलेट्स बनाए, जिससे उन्हें किराए का खर्च नहीं उठाना पड़ा और वे ग्राहकों को और भी कम कीमत पर सामान दे सके। इसके अलावा, DMart ने किसी भी तरह की फिजूलखर्ची से बचने का फैसला किया। जहां दूसरी रिटेल कंपनियां बड़े-बड़े शोरूम और महंगे विज्ञापनों पर खर्च कर रही थीं, वहीं DMart अपने खर्चे कम रखकर ग्राहकों को बचत का फायदा दे रहा था।


IPO और DMart की ऐतिहासिक सफलता

2017 में जब DMart का IPO (Initial Public Offering) लॉन्च हुआ, तो यह भारत के इतिहास के सबसे सफल IPOs में से एक बन गया। कंपनी के शेयर पहले ही दिन 102% से ज्यादा बढ़ गए, जिससे निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा हुआ। यह दमानी जी के बिजनेस विजन की सबसे बड़ी जीत थी।


DMart ने क्या बदला?

DMart ने भारत में रिटेल बिजनेस का पूरा खेल बदल दिया। जहां पहले ग्राहक अलग-अलग दुकानों से सामान खरीदते थे, वहीं अब वे एक ही जगह पर सस्ते और भरोसेमंद प्रोडक्ट्स खरीद सकते थे। इसका असर इतना बड़ा था कि बड़े-बड़े रिटेल ब्रांड्स भी DMart की रणनीति से डरने लगे।


आज DMart कहां खड़ा है?

आज DMart के भारत में 350 से ज्यादा स्टोर्स हैं और यह लगातार बढ़ता जा रहा है। कंपनी की ग्रोथ इतनी जबरदस्त है कि यह भारत की सबसे मूल्यवान रिटेल कंपनियों में से एक बन चुकी है। लेकिन इसके पीछे कोई जादू नहीं, बल्कि राधाकिशन दमानी की दूरदर्शिता, धैर्य और ग्राहकों की जरूरतों को समझने की क्षमता है।


रिटेल किंग का सफर

आज, राधाकिशन दमानी की कुल संपत्ति 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, और वह भारत के टॉप अरबपतियों में शामिल हैं। लेकिन फिर भी, वह आज भी सादगी से रहते हैं, सफेद कपड़े पहनते हैं, और लाइमलाइट से दूर रहते हैं।


राधाकिशन दमानी से सीखने योग्य बातें

  • धैर्य सबसे बड़ा हथियार है – दमानी जी ने हमेशा लॉन्ग टर्म निवेश को अपनाया और इसका फायदा उठाया।
  • कम बोलो, ज्यादा सुनो – वे कम बोलते हैं, लेकिन जब भी बोलते हैं, उनकी बातों में गहरी सीख होती है।
  • सही कीमत पर खरीदो – चाहे स्टॉक हो या बिजनेस, उन्होंने हमेशा वैल्यूएशन को महत्व दिया।
  • फिजूलखर्ची से बचो – उन्होंने अपने बिजनेस और निजी जीवन में सादगी को प्राथमिकता दी।

दिखावा जरूरी नहीं, परफॉर्मेंस जरूरी है – दमानी जी न तो मीडिया में दिखते हैं, न ही सोशल मीडिया पर, लेकिन उनके काम ने उन्हें शेयर बाजार का लीजेंड बना दिया।


निष्कर्ष: सादगी में छिपी असली ताकत

राधाकिशन दमानी की कहानी यह बताती है कि सफलता के लिए चमक-धमक की जरूरत नहीं होती, बल्कि सही सोच, धैर्य और अनुशासन की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी मेहनत और समझदारी से एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया, जिसकी बुनियाद कम लागत, सही रणनीति और ग्राहकों की जरूरतों को समझने पर टिकी है। आज भी वह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो यह साबित करते हैं कि सादगी ही सबसे बड़ी ताकत होती है।


F&Q (Frequently Asked Questions)

Q1. राधाकिशन दमानी कौन हैं?

Ans. राधाकिशन दमानी एक भारतीय अरबपति निवेशक, ट्रेडर और DMart के संस्थापक हैं। वह भारत के सबसे सफल शेयर बाजार निवेशकों में से एक हैं।


Q2. राधाकिशन दमानी का शेयर बाजार में सफर कैसे शुरू हुआ?

Ans. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद मजबूरी में शेयर बाजार में कदम रखा। पहले वह ट्रेडिंग करते थे, लेकिन बाद में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग को अपनाया।


Q3. DMart क्या है, और इसकी सफलता का राज क्या है?

Ans. DMart एक भारतीय रिटेल चेन है, जो ग्राहकों को किफायती कीमतों पर सामान उपलब्ध कराती है। इसकी सफलता का राज लो-कॉस्ट ऑपरेशन और लॉयल कस्टमर बेस है।


Q4. राधाकिशन दमानी का सबसे बड़ा निवेश कौन सा है?

Ans. उनके सबसे बड़े निवेशों में टाइटन, वीएसटी इंडस्ट्रीज, इंडिया सीमेंट्स, सुंदरम फाइनेंस और DMart शामिल हैं।


Q5. दमानी जी मीडिया में क्यों नहीं आते?

Ans. वह हमेशा लो-प्रोफाइल रहते हैं और मानते हैं कि असली सफलता परिणामों से दिखनी चाहिए, न कि प्रचार से।


Q6. दमानी जी से हम क्या सीख सकते हैं?

Ans. उनकी जीवनशैली से हम धैर्य, अनुशासन, सही निवेश और सादगी जैसी चीजें सीख सकते हैं।


Q7. क्या दमानी जी भारत के सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं?

Ans. हाँ, उनकी संपत्ति 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है और वह भारत के टॉप अरबपतियों में से एक हैं।


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