जब भी हम 'शेयर' शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में पैसा, बाजार और कंप्यूटर स्क्रीन पर चलते नंबर आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि एक "शेयर" असल में होता क्या है?
साधारण शब्दों में कहें तो, शेयर किसी कंपनी में आपका हिस्सा होता है। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के एक छोटे से हिस्से के मालिक बन जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे घर के हिस्सेदार होते हैं। फर्क बस इतना है कि यहां आप मालिक बनने के लिए घर नहीं, कंपनी का हिस्सा खरीदते हैं।
अब आप सोच सकते हैं – "मालिक बनने से क्या होता है?"
इसका मतलब है – अगर कंपनी मुनाफा कमाती है, तो आपको भी फायदा होगा। अगर नुकसान होता है, तो उसका असर भी आप पर पड़ेगा।
शेयर सिर्फ कागज़ का टुकड़ा नहीं होता...
ये एक भरोसे की डोर होती है – कंपनी और आपके बीच। जब कोई कंपनी अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है, तो उसे पैसों की जरूरत होती है। इसके लिए वो अपने हिस्से (यानी शेयर) लोगों को बेचती है। आप अगर वो शेयर खरीदते हैं, तो आप उसके सफर में उसके साथ हो जाते हैं।
शेयर कितने प्रकार के होते हैं?
शेयर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1. इक्विटी शेयर (Equity Shares)
2. प्राथमिक शेयर (Preference Shares)
1. इक्विटी शेयर (Equity Shares):
इन्हें सबसे आम शेयर कहा जाता है। जब आप इन्हें खरीदते हैं, तो आप कंपनी के मालिक बन जाते हैं। आपको वोटिंग अधिकार मिलते हैं और कंपनी के मुनाफे से हिस्सा भी।
- मुनाफा होगा तो मिलेगा, नहीं तो इंतजार करना होगा।
- अगर कंपनी बंद होती है, तो आपको सबसे आखिरी में पैसा मिलेगा।
- लेकिन जब कंपनी तरक्की करती है, तो इक्विटी शेयर का रिटर्न भी शानदार हो सकता है।
उदाहरण:
आपने 100 शेयर ₹100 की कीमत पर खरीदे। बाद में कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया और शेयर का दाम ₹200 हो गया – मतलब आपका पैसा दोगुना!
2. प्राथमिक शेयर (Preference Shares):
नाम से ही साफ है – इनको प्राथमिकता मिलती है। यानी कंपनी मुनाफा कमाए तो सबसे पहले इन लोगों को तयशुदा पैसा मिलेगा। लेकिन इनके पास कंपनी के निर्णयों में वोटिंग का हक नहीं होता।
- रिटर्न फिक्स होता है – ना ज्यादा, ना कम।
- जोखिम कम होता है, पर मुनाफा सीमित।
उदाहरण:
आपने 100 प्राथमिक शेयर खरीदे और कंपनी ने ₹8 का डिविडेंड तय किया। हर साल ₹800 आपको मिलेगा, चाहे कंपनी का मुनाफा बढ़े या घटे।
इक्विटी और प्राथमिक शेयरों के बीच अंतर
पैरामीटर इक्विटी शेयर प्राथमिक शेयर
स्वामित्व कंपनी का मालिकाना हक मिलता है। केवल निवेशक का दर्जा मिलता है।
लाभांश (Dividend) लाभ के आधार पर अनिश्चित लाभांश मिलता है। तयशुदा दर पर निश्चित लाभांश मिलता है।
वोटिंग अधिकार वोटिंग अधिकार होते हैं। वोटिंग अधिकार नहीं होते।
जोखिम (Risk) अधिक जोखिम होता है। अपेक्षाकृत कम जोखिम होता है।
भुगतान प्राथमिकता कंपनी के समाप्त होने पर सबसे अंत में भुगतान। कंपनी के समाप्त होने पर पहले भुगतान।
"बोनस शेयर" और "राइट्स शेयर" केवल इक्विटी शेयर के लिए क्यों जारी होते हैं?
बोनस और राइट्स शेयर सिर्फ इक्विटी वालों को क्यों?
बोनस शेयर
ये कंपनी की तरफ से "Thank You" होता है। जब कंपनी अच्छा मुनाफा कमाती है, तो वो अपने मौजूदा शेयरधारकों को फ्री में शेयर देती है।उदाहरण:
100 शेयर हैं और कंपनी 1:1 बोनस देती है, तो आपके पास अब 200 शेयर हो जाएंगे।
राइट्स शेयर
जब कंपनी को फंड चाहिए होता है, तो वो मौजूदा शेयरधारकों को डिस्काउंट पर नए शेयर खरीदने का मौका देती है।प्राथमिक शेयरधारकों को ये क्यों नहीं मिलते?
क्योंकि वे मालिक नहीं, सिर्फ निवेशक होते हैं। वे सिर्फ तय लाभ के हकदार होते हैं, इसलिए उन्हें बोनस या राइट्स शेयर नहीं मिलते।
एक भावनात्मक पहलू...
जब कोई कंपनी आपको बोनस शेयर देती है, तो वो सिर्फ एक वित्तीय लाभ नहीं होता – वो उस भरोसे का इनाम होता है, जो आपने उस कंपनी पर किया। इक्विटी शेयरधारक सिर्फ पैसा नहीं लगाते, वे उस सपने में शामिल होते हैं जो कंपनी ने देखा है। वो मालिक होते हैं, सिर्फ निवेशक नहीं।
निवेश करते समय कुछ जरूरी बातें
1. जोखिम को समझें:
इक्विटी में ज्यादा फायदा है, लेकिन जोखिम भी उतना ही होता है। प्राथमिक शेयर स्थिर रिटर्न देते हैं पर लिमिटेड।
2. लंबी अवधि का नजरिया रखें:
अगर आप इक्विटी में निवेश करते हैं, तो थोड़ा धैर्य रखें। धीरे-धीरे फल जरूर मिलेगा।
3. विविधता जरूरी है:
सिर्फ एक ही तरह के शेयर ना रखें। थोड़ा इक्विटी, थोड़ा प्राथमिक – बैलेंस जरूरी है।
निष्कर्ष
शेयर बाजार कोई जुआ नहीं, ये एक समझदारी से चुना गया रास्ता है जो आपकी वित्तीय आजादी की ओर ले जाता है।
इक्विटी हो या प्राथमिक – दोनों के अपने फायदे हैं। बस जरूरत है सही जानकारी, धैर्य और सही समय पर निर्णय लेने की।
FAQ – आसान भाषा में
Q1. क्या इक्विटी शेयर में जोखिम है?
हाँ, लेकिन सही जानकारी और धैर्य से इसमें अच्छा मुनाफा भी हो सकता है।
Q2. क्या प्राथमिक शेयर का रिटर्न कम होता है?
हाँ, लेकिन वो फिक्स होता है, इसलिए रिस्क भी कम होता है।
Q3. बोनस शेयर से फायदा कैसे होता है?
आपके पास ज्यादा शेयर हो जाते हैं – जिससे भविष्य में डिविडेंड और रिटर्न दोनों बढ़ सकते हैं।
Q4. क्या राइट्स शेयर लेना जरूरी है?
नहीं, ये आपकी मर्जी पर होता है। लेकिन ये आमतौर पर सस्ते मिलते हैं, इसलिए फायदा दे सकते हैं।
Q5. क्या शेयर बाजार समझना मुश्किल है?
नहीं, अगर आप सही गाइडेंस और धैर्य के साथ शुरुआत करते हैं, तो ये काफी सरल और रोचक भी हो सकता है।